CCMB

सीएसआईआर - कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केन्द्र
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद

भारत का नवप्रवर्तन इंजन

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार

प्रेस रिपोर्ट

पंजाब के अजनाला के 160 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदान मे शहीदों के हैं; आनुवंशिक शोधों का दावा

Date : अक्टूबर 15, 2024

पंजाब के अजनाला के 160 साल पुराने मानव कंकाल गंगा के मैदान मे शहीदों के हैं; आनुवंशिक शोधों का दावा
Share Share

28th April, 2022: A large number of human skeletons were excavated from an old well in Ajnala town of Punjab in early 2014. Some historians believe that these skeletons belong to the people who were killed in riots during the partition of India and Pakistan. The other prevailing belief, based on various historical sources, is that these are skeletons of the Indian soldiers killed by the British army during the revolt of 1857 of Indian freedom struggle. However, the identity and the geographic origins of these soldiers have been under intense debate due to lack of scientific evidence

Dr J.S. Sehrawat, anthropologist from Panjab University, collaborated with the Centre for Cellular and Molecular Biology (CCMB) Hyderabad, Birbal Sahni Institute, Lucknow and Benaras Hindu University (BHU) to establish the roots of these martyrs using DNA and isotope analyses. The finding of this study revealed that the skeletons belonged to residents of the Gangetic plain region. The study was published on 28th April, 2022 in the journal Frontiers in Genetics.

Researchers have used 50 samples for DNA analysis and 85 specimens for isotope analysis. “DNA analysis helps understanding ancestry of people, and isotope analysis sheds light on food habits. Both the research methods supported that the human skeletons found in the well were not of people living in Punjab or Pakistan. Rather, DNA sequences matched with the people from UP, Bihar, and West Bengal”, said Dr K. Thangaraj, Chief Scientist, CCMB; Director, Centre for DNA Fingerprinting and Diagnostics, Hyderabad, and a senior member of this team.

“The results from this research are consistent with the historical evidence that the 26th Native Bengal Infantry Battalion consisted of people from the eastern part of Bengal, Odisha, Bihar and Uttar Pradesh, ” stated Dr J.S. Sehrawat, the first author of this study. As per historical records, soldiers from this battalion were posted at Mian-Meer, Pakistan and killed British officers in a revolt. They were captured by the British army near Ajnala and executed.

Dr Niraj Rai, the lead researcher of this team and expert on ancient DNA, said that scientific research done by this team helps look at history from a more evidence-based way

Prof Gyaneshwer Chaubey, Department of Zoology, BHU, who played a crucial role in the DNA study, stressed that the findings of this study would add a significant chapter in the history of the unsung heroes of India’s first freedom struggle.

Dr Vinay Nandicoori, Director, CCMB, said, “Ancient DNA study is a powerful tool not only to understand our past and also help us in understanding historical perspective. He further said that CCMB plans to take up a largescale ancient DNA study, which would unravel several historical and pre-historical facts”.

 

पंजाब के अजनाला से ननकले मानव कं काल गंगा घाटी के शहीदों के

2014 की शुरुवात में पंजाब के अजनाला कस्बे के एक पुराने कंुए से कई मानव कंकालों के अवशेष ननकले। कुछ इनतहासकारों का मत हैकी ये कंकाल भारत पाककस्तान के बटवारे के दौरान दंगों में मारे गए लोगो के है, जबकक ववभभन्न स्रोतों के आधार पर प्रचभलत धारणा है, की ये कं काल उन भारतीय सैननकों के है, जजनकी हत्या 1857 स्वतंत्रता संग्राम के ववद्रोह के दौरान अंग्रेजों ने कर दी थी। हालााँकक, वैज्ञाननक प्रमाणों की कमी के कारण इन सैननकों की पहचान और भौगोभलक उत्पवि पर गहन बहस चल रही है। इस ववषय की वास्तववकता पता करने के भलए पंजाब ववश्वववद्यालय के एन्रोपोलाजजस्ट डॉ जे.यस. सेहरावत ने इन कं कालों का डीएनए और आइसोटोप अध्ययन, सीसीऍमबी हैदराबाद, बीरबल साहनी इंजस्टट्यूट लखनऊ और काशी हहन्दूववजश्वद्यालय के वैज्ञाननको के साथ भमलकर ककया। वैज्ञाननको की दो अलग अलग टीम ने डीएनए और आइसोटोप एनाभलभसस ककया और ननष्कषष ननकाला की शहीद लोग गंगा घाटी क्षेत्र के रहने वाले थे। यह अध्ययन 28 अप्रैल, 2022 को फ्रंहटयसष इन जेनेहटक्स पत्रत्रका में प्रकाभशत हुआ।

इस शोध में 50 सैंपल डीएनए एनाभलभसस और 85 सैंपल आइसोटोप एनाभलभसस के भलए इस्तेमाल ककये गए। “डीएनए ववश्लेषण लोगों के अनुवांभशक सम्बन्ध को समझने में मदद करता है, जबकक आइसोटोप ववश्लेषण भोजन की आदतों पर प्रकाश डालता है। दोनों शोध ववधधयों ने इस बात का समथनष ककया कक कुएं में भमले मानव कं काल पंजाब या पाककस्तान में रहने वाले लोगों के नहीं थे। बजकक, डीएनए सीक्वेंस यूपी, त्रबहार और पजश्चम बंगाल के लोगों के साथ मेल खाते हैं”, इस टीम के एक वररष्ठ सदस्य सीसीएमबी के मुख्य वैज्ञाननक और सेंटर फॉर डीएनए क ं गरवप्र हटंग एंड डायग्नोजस्टक्स, हैदराबाद के ननदेशक डॉ. के . थंगराज ने बताया।

इस शोध से भमले पररणाम ऐनतहाभसक साक्ष्य के अनुरूप हैं, जजसमें कहा गया है कक 26 वीं मूल बंगाल इन्फैंट्री बटाभलयन के सैननक पाककस्तान के भमयां-मीर में तैनात थे और ववद्रोह के बाद उन्हें अजनाला के पास त्रिहटश सेना ने पकड़ भलया और मार डाला। यह बात इस शोध के पहले लेखक डॉ जगमेंदर भस ंह सेहरावत ने कहा।

इस टीम के प्रमुख शोधकताष और प्राचीन डीएनए के एक्सपटष डॉ नीरज राय ने कहा की इस इस टीम द्वारा ककया गया वैज्ञाननक शोध इनतहास को साक्ष्य-आधाररत तरीके स्थावपत करने में मदद करता है।

बीएचयूजंतुववज्ञान के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे जजन्होंने डीएनए अध्ययन में महत्वपूणष भूभमका ननभायी, ने जोर देकर कहा की इस अध्ययन के ननष्कषष भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों के इनतहास में एक प्रमुख अध्याय जोड़ देंगे।

सीसीएमबी के ननदेशक डॉ ववनय नंहदकूरी ने कहा, “प्राचीन डीएनए अध्ययन हमारे अतीत को समझने और ऐनतहाभसक पररप्रेक्ष्य को समझने में हमारी मदद करने के भलए एक शजक्तशाली माध्यम है। उन्होंने आगे कहा कक सीसीएमबी बड़े पैमाने पर प्राचीन डीएनए अध्ययन करने की योजना बना रहा है, जो कई ऐनतहाभसक और पूव-षऐनतहाभसक तथ्यों को उजागर करेगा।

Notifications
close slider