CSIR - Centre for Cellular & Molecular Biology
Council of Scientific and Industrial Research
The Innovation Engine of India
Date : October 15, 2024
The infection of coronavirus SARS-CoV-2 has impacted various ethnic groups all over the world. Recent studies suggest that the indigenous groups in Brazil have been massively affected by COVID-19. The death rate was twice high among the indigenous communities of Brazil. It was also shown that many of the indigenous communities have reached the verge of extinction due to this pandemic.
India is home for several indigenous and smaller communities including Andaman Islanders, who are living in isolation for tens of thousands of years. Recently, Dr Kumarasamy Thangaraj from CSIR-CCMB, who is presently Director of CDFD, Hyderabad and Prof Gyaneshwer Chaubey of BHU, Varanasi jointly led the genomic analysis of several Indian populations. They found that populations that carry similar long DNA segments (homozygous) in their genome are most likely to be more susceptible to COVID-19. The research has been published online recently in the journal Genes and Immunity.
Dr Thangaraj, who traced the origin of Andaman Islanders, said, “We have investigated ahighdensity genomic data of >1600 individuals from 227 ethnic populations. We found high frequency of contiguous lengths of homozygous genes among Onge, Jarawa (Andaman Tribes) and a few more populations who are in isolation and follow a strict endogamy, making them highly susceptible for COVID-19 infection”.
The researchers have also assessed the ACE2 gene variants, that make individuals susceptible for COVID-19. They found that the Jarawa and Onge populations have high frequency of these mutations.
“There have been some speculations on the effect of COVID-19 among isolated populations. However, for the first time, we have used genomic data to access the risk of COVID-19 on the small and isolated populations”, said Prof Chaubey, Professor of Molecular Anthropology at BHU, Varanasi.
“Results obtained from this study suggest that we need to have a high priority protection and utmost care for the isolated populations, so that we don’t lose some of the living treasures of modern human evolution”, said Dr. Vinay Kumar Nandicoori, Director, CCMB, Hyderabad. Other participants of this study include: Prajjval Pratap Singh, Prof VN Mishra, Prof Royana Singh and Dr Abhishek Pathak from BHU, Varanasi; Dr Prashanth Suravajhala from Amrita University, Kerala; Pratheusa Machha from CSIR-CCMB, Hyderabad; Dr Rakesh Tamang from Calcutta University, Dr Ashutosh K Rai from Saudi Arabia, Dr Pankaj Shrivastava from FSL MP, and Prof Keshav K Singh from University of Alabama USA.
Link: https://www.nature.com/articles/s41435-021-00150-8
कोरोनावायरस के ववश्वब्यापी ववस्तार ने दनुनया भर के ववभभन्न मानव समूहों को प्रभाववत ककया है। ब्राज़ील में लोगों पर हाभलया अध्ययन में यह बात सामने आई है की वहाां के आददवासी समूह इस वायरस से बडे पैमाने पर प्रभाववत हुए हैं। ब्राजील के आददवासी समुदायों में मत्ृयुदर दोगुनी थी। ककये गए शोधो में सामने आया की इस महामारी के कारण कई आददवासी समुदाय ववलुप्त होने के कगार पर पहुांच गए हैं। भारत में भी बहुत से आददवासी समुदाय है, जजनमे से कई ऐसे है जजनकी कुल जनसँख्या 1000 से भी कम है। अांडमान द्वीप समूह के आददवासी लोग इनमे प्रमुख है। सीएसआईआर-सीसीएमबी हैदराबाद के डॉ कुमारसामी थांगराज और बीएचयूवाराणसी के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के सह-नेतत्ृव में एक महत्वपूणण शोध में देश भर के 13 सांस्थानों के 11 वैज्ञाननकों ने भारतीय आबादी का जीनोभमक ववश्लेषण ककया है, और पाया कक पाया है कक कुछ समुदायों के जीनोम में समान प्रकार के डीएनए सेगमेंट (समयुग्मजी) पाए जा रहे है जो उनको COVID-19 के प्रनत अधधक सांवेदनशील बनाती है। और ऐसे जीनोम की कोववड-19 से सांक्रभमत होने की सबसे अधधक सांभावना है। यह शोध ववज्ञान की पत्रिका जीन्स एांड इम्युननटी में प्रकाभशत हुआ है।
प्रमुख वैज्ञाननक, डॉ कुमारसामी थांगराज, जो अांडमान द्वीप वाभसयों की उत्पवि का पता लगाने के भलए जाने जाते है, ने कहा कक उनकी शोध टीम ने 227 समुदायों के 1600 से ज्यादा व्यजततयों के उच्च रेसोलुशन वाले जीनोभमक डटे ा में उस डीएनए की जाांच की जो कोववड-19 जोखखम को बढ़ा देता है। टीम ने ओांगे और जरावा (अांडमान जनजानत) में सबसे ज्यादा जोखखम पाया।
शोधकर्ताओं की टीम ने ACE2 जीन कत अध्ययन करर्े हुवे कोववड-19 के जोखिम कत भी आकलन ककयत, और पतयत कक जतरवत और ओन्गे में कोववड-19 के िर्रे को बढ़तने वतलत म्युटेशन सबसे ज्यतदत पतयत गयत।
बीएचयूके मॉभलतयूलर एांथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने कहा कक अभी तक इस ववषय पर की कोववड-19 का प्रभाव ककसी भी समुदाय पर कैसे पडगे ा, इसके बारे में कोई भी पुख्ता जानकारी नहीां थी। इस तरीके के पहले शोध में हमारी टीम ने यह ददखाया है, की जेनोभमक डाटा का इस्तमे ाल करते हुवे कैसे हम ककसी भी समुदाय को कोववड-19 के जोखखम स्तर को पता कर सकते है ।
इस अध्ययन से प्राप्त पररणाम बताते हैंकक हमें आइसोलेटेड आबादी के भलए उच्च प्राथभमकता वाली सुरक्षा और अत्यधधक देखभाल की आवश्यकता है, ताकक हम आधुननक मानव ववकास के कुछ जीववत ककांवदांनतयों को न खोएां, डॉ ववनय के नांदीकुरी, सीसीएमबी, हैदराबाद के ननदेशक, ने कहा।
इस अध्ययन के अन्य वैज्ञाननक: प्रज्जवल प्रताप भस ांह, प्रो वीएन भमश्रा, प्रो रोयाना भस ांह और डॉ अभभषेक पाठक बीएचयू, वाराणसी से; अमतृ ा ववश्वववद्यालय, केरल से डॉ प्रशाांत सुरवझाला; सीएसआईआर-सीसीएमबी, हैदराबाद सेप्रत्यूसा मच्चा; कलकिा ववश्वववद्यालय से डॉ राके श तमाांग, सऊदी अरब से डॉ आशुतोष राय, एफएसएल मध्य प्रदेश से डॉ पांकज श्रीवास्तव, और अलबामा ववश्वववद्यालय अमेररका से प्रोफे सर के शव के भस ांह थ